1. सिर्फ एक ईश्वर है उसी की इबादत (उपासना) करो.
- ऋग्वेद 6:45:16
2. वो (ईश्वर) एक है उसका कोई साझी नहीं है.
- छान्दोग्य उपनिषद 6:02:01
3. जो असम्भूति अर्थात प्रकृति रूप से जड़ पदार्थ (अग्नि, मिट्टी, वायु आदि) की उपासना करते हैं, वह अज्ञान के अन्धकार में प्रविष्ट
होते हैं और जो 'सम्भूति' अर्थात प्रकृति पदार्थो के परिणामस्वरूप सृष्टि (तख़्त, तस्वीर,
मूर्तियाँ आदि) में रमन करते हैं वह उससे भी अधिक अन्धकार में पड़ते हैं.
- यजुर्वेद 40:9
4. ज्ञानी लोग एक ईश्वर को अलग-अलग नामो से पुकारते है.
- ऋग्वेद 1:164:46
5. उसकी कोई प्रतिमा नहीं है उसका नाम ही अत्यंत महान है,
सबसे बड़ा यश यही है.
- यजुर्वेद 32:3
6. वो एक है लेकिन बुद्धिमान लोग उसे विभिन्न नामो से पुकारते
है जैसे- इंद्र, मित्र, वरुण, अग्नि, दिव्या, प्रकाशपुंज, सुपर्णा (संसार की सुरक्षा
और इसकी देखभाल करने वाला) इत्यादि उसका कार्य बिलकुल ठीक-ठीक होता है.
- ऋग्वेद 1:22:164
7. मेरे परम भाव को न जानने वाले मुर्ख लोग मुझ सम्पूर्ण
भूतो के महान ईश्वर को शरीरधारी समझ कर मेरा अपमान करते हैं.
- गीता 9:11
8. वो शरीरविहीन (bodyless) और पाक है.
- यजुर्वेद 40:8
9. उसके सिवा किसी की उपासना ना करो वही खुदा है उसी की तारीफ
करो.
- ऋग्वेद 8:01:01
10. मिट्टी पत्थर आदि की मूर्तियाँ देव नही होती है.
- श्रीमद भागवत महापुराण 10:84:11
11. सिर्फ वोह एक ही स्वयं से (बिना किसी के जन्म दिए) अकेला
विधमान है.
- अर्थर्ववेद 13:04:12
13. एक ईश्वर ही पूजा के योग्य और सभी प्रजातियों में स्तुति
के योग्य है.
- अर्थर्ववेद 2:02:01
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