वेदों ने अपने एक महान दूत का नाम अग्नि बताया था:
"हम अग्नि को दूत (पैग़म्बर) चुनते है"
-ऋग्वेद 01:12:01
यहाँ अग्नि से मतलब आग नही बल्कि मनुष्य (इनसान) है, ऋग्वेद (01:31:15) में अग्नि को साफ़-साफ़ 'नर' यानि मनुष्य (इनसान) बताया गया है. फिर ऋग्वेद (03:29:11) में कहा गया है की अग्नि का एक नाम 'नराशंस' है वो नराशंस नाम से ही दुनिया में आयेंगे. शब्द 'नराशंस' का अनुवाद प्रशंसा योग्य मनुष्य या "मुहम्मद" होता है. फिर अर्थर्ववेद (20:127:1-3) में साफ़-साफ़ कह दिया गया कि नराशंस के आने पर उनकी बहुत प्रशंसा होगी, ऊंट उनकी सवारी होगी, उनकी कई पत्नियाँ होंगी. फिर उस वक्त के मक्के की आबादी 60,090 होना, अलंकृत राजभाषा में हबशा (इथियोपिया) मुल्क में पनाह लेने वालो की संख्या 100 होना, 10 जन्नती (अशरा मुबश्शिरा) सहाबा का इशारा, बदर जंग में फ़तह हो कर लोटने वालो की संख्या 300 और मक्के की फ़तह के वक्त इस्लामी सेना की संख्या 10,000 का भी ज़िक्र किया गया है. वेद मंत्रो का यह अनुवाद प्राचीन अनुवादको पंडित राजाराम और पंडित खेमकरण के अनुवादों पर आधारित है. चंडीगढ़ विश्वविध्यालय में संस्कृत के प्रोफेसर पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय ने ये सारी वियाख्या बहुत साफ़ शब्दों में लिखी है.
वेदों ने अपने अवतरण काल के बहुत बाद 'नराशंस' नाम के एक दूत (पैग़म्बर) के आने की भविष्यवाणी की थी और वेद लाने वाले अज्ञात ऋषि (नबी) को आखिरी नहीं कहा गया था. गीता (04:07) और श्रीमद भागवत महापुराण (09:24:56) में यह धारणा अंकित है की जब-जब दुनिया में धर्म बिगाड़ पैदा हो जाता है और बुराईया बढ़ जाती है तब अवतार दुनिया में आते हैं पोराणिक काल के ग्रंथो में दूत के बजाये अवतार की धारणा हैं.
यहूदियों की मोजुदा तोरेत और इसाइयों की मोजूदा इन्जीलो में भी हज़रत मूसा और हज़रत ईसा को आखिरी दूत (पैग़म्बर) नहीं कहा गया है. दोनों में साफ़ तरीके से बाद के किसी दौर में आने वाले एक दूत के आने के संकेत दिए गए हैं. से. इंजील में इनको Paraclete या Periclytos कहा गया है जिसका अनुवाद हैं "प्रशंसा योग्य" या फिर "मुहम्मद".
गौतम बुद्ध ने भी स्वयं को अंतिम "बुद्ध" नहीं कहा था. जब बुद्ध के शिष्य आनंद ने सवाल किया, "आपके जाने के बाद कौन मार्गदर्शन करेगा" बुद्ध ने जवाब दिया, "में दुनिया में आने वाला न तो पहला बुद्ध हूँ और न अंतिम होऊंगा. अपने समय में दुनिया में एक और बुद्ध आएगा वो पवित्र, बहुत बुद्धिमान होंगे. अच्छी ज़िंदगी का जानने वाला, इंसानियत का अनोखा नेता (नेता), फरिश्तो और अनित्ये मनुष्यों का गुरु होगा. मेने जो सत्य बाते तुम्हे बताई है वो तुम्हे बताएगा. वो ऐसे धर्म का प्रचार करेगा जिसका आरम्भ भी रोशन होगा मध्य भी रोशन होगा और अंत भी रोशन होगा. वो ऐसी मज़हबी ज़िंदगी बसर करेगा जो पूर्ण और पवित्र होगी, जैसा की मेरा ढंग है. उसके शिष्य हजारो होंगे जबकि मेरे सेकड़ो ही हैं. आनंद ने पूछा, "हम उसे कैसे पहचानेंगे?" बुद्ध ने जवाब दिया "वो मेत्रिये (कृपा करने वाले) के नाम से जाना जायेगा ...."
ग़ौर करे की गौतम बुद्ध ने भी अपने आपको अंतिम नहीं कहा बल्कि बाद के किसी दौर में आने वाले मेत्रेये (कृपालु) की भविष्यवाणी कि थी. ये सुन लें कि क़ुरान में हज़रत मुहम्मद सल्ल्ल० "रेह्मतुल्लिल आलमीन" (सभी संसारो के लिये कृपा) कहा गया है. पारसियों के दूत ज़र्थ्रूस्त्र के बारे में उनके पवित्र ग्रन्थ अवेस्ता में लिखा हैं की ईश्वर ने कहा जैसे ज़र्थ्रूस्त्र के रास्ते बराबर चलकर उसके मानने वाले वैभव की छोटी पर पहुचे इसी तरह भविष्य में एक वक्त में ईश्वर मैं मानने वाली एक कौम होगी जो दुनिया और उसके धर्मो को एक नयी ज़िंदगी देगी और जो पैग़म्बर की मदद के लिये खतरनाक युद्धों में खड़ी होगी. आगे दूत (पैग़म्बर) का नाम बताते हुए कहा, "जिसका नाम Vijaye Soeshyant होगा और जिसका नाम Astvat - Ereta होगा वो Soeshyaant (कृपा) होगा क्योंकि सारी दुनिया को उससे फायदा पहुचेगा और वो Astvat Ereta (जगाने वाला) होगा क्योंकि ज़िदा इंसान के रूप में वो इंसानों कि उस तबाही के खिलाफ खड़ा होगा जो मूर्ति पूजको और मज्दानियो की बुराईयों से फेलेगा .
(Farvardin Yasht, 25-29, Quoted by A.H. Vidyarthi in Mohammad in Parsi Scriptures P:18)
इस्लाम में अंतिम (पैग़म्बर) के दूत की धारणा के सिवा तमाम धर्मों में सिर्फ जैन धर्म के मानने तो धारणा रखते है की श्री महावीर अंतिम तीर्थकर थे लेकिन वह भी ये दावा सिर्फ जैनियों का है, स्वयं श्री महावीर के अपने शब्दों में उनके अंतिम होने का दावा हमें नहीं मिलता है.
इस्लाम दुनिया का ऐसा अकेला धर्म है जिसको पूर्ण करने वाले मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अंतिम दूत (पैग़म्बर) का ऐलान किया.
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सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम = उन पर ईश्वर ओर से शान्ति हो
"हम अग्नि को दूत (पैग़म्बर) चुनते है"
-ऋग्वेद 01:12:01
यहाँ अग्नि से मतलब आग नही बल्कि मनुष्य (इनसान) है, ऋग्वेद (01:31:15) में अग्नि को साफ़-साफ़ 'नर' यानि मनुष्य (इनसान) बताया गया है. फिर ऋग्वेद (03:29:11) में कहा गया है की अग्नि का एक नाम 'नराशंस' है वो नराशंस नाम से ही दुनिया में आयेंगे. शब्द 'नराशंस' का अनुवाद प्रशंसा योग्य मनुष्य या "मुहम्मद" होता है. फिर अर्थर्ववेद (20:127:1-3) में साफ़-साफ़ कह दिया गया कि नराशंस के आने पर उनकी बहुत प्रशंसा होगी, ऊंट उनकी सवारी होगी, उनकी कई पत्नियाँ होंगी. फिर उस वक्त के मक्के की आबादी 60,090 होना, अलंकृत राजभाषा में हबशा (इथियोपिया) मुल्क में पनाह लेने वालो की संख्या 100 होना, 10 जन्नती (अशरा मुबश्शिरा) सहाबा का इशारा, बदर जंग में फ़तह हो कर लोटने वालो की संख्या 300 और मक्के की फ़तह के वक्त इस्लामी सेना की संख्या 10,000 का भी ज़िक्र किया गया है. वेद मंत्रो का यह अनुवाद प्राचीन अनुवादको पंडित राजाराम और पंडित खेमकरण के अनुवादों पर आधारित है. चंडीगढ़ विश्वविध्यालय में संस्कृत के प्रोफेसर पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय ने ये सारी वियाख्या बहुत साफ़ शब्दों में लिखी है.
वेदों ने अपने अवतरण काल के बहुत बाद 'नराशंस' नाम के एक दूत (पैग़म्बर) के आने की भविष्यवाणी की थी और वेद लाने वाले अज्ञात ऋषि (नबी) को आखिरी नहीं कहा गया था. गीता (04:07) और श्रीमद भागवत महापुराण (09:24:56) में यह धारणा अंकित है की जब-जब दुनिया में धर्म बिगाड़ पैदा हो जाता है और बुराईया बढ़ जाती है तब अवतार दुनिया में आते हैं पोराणिक काल के ग्रंथो में दूत के बजाये अवतार की धारणा हैं.
यहूदियों की मोजुदा तोरेत और इसाइयों की मोजूदा इन्जीलो में भी हज़रत मूसा और हज़रत ईसा को आखिरी दूत (पैग़म्बर) नहीं कहा गया है. दोनों में साफ़ तरीके से बाद के किसी दौर में आने वाले एक दूत के आने के संकेत दिए गए हैं. से. इंजील में इनको Paraclete या Periclytos कहा गया है जिसका अनुवाद हैं "प्रशंसा योग्य" या फिर "मुहम्मद".
गौतम बुद्ध ने भी स्वयं को अंतिम "बुद्ध" नहीं कहा था. जब बुद्ध के शिष्य आनंद ने सवाल किया, "आपके जाने के बाद कौन मार्गदर्शन करेगा" बुद्ध ने जवाब दिया, "में दुनिया में आने वाला न तो पहला बुद्ध हूँ और न अंतिम होऊंगा. अपने समय में दुनिया में एक और बुद्ध आएगा वो पवित्र, बहुत बुद्धिमान होंगे. अच्छी ज़िंदगी का जानने वाला, इंसानियत का अनोखा नेता (नेता), फरिश्तो और अनित्ये मनुष्यों का गुरु होगा. मेने जो सत्य बाते तुम्हे बताई है वो तुम्हे बताएगा. वो ऐसे धर्म का प्रचार करेगा जिसका आरम्भ भी रोशन होगा मध्य भी रोशन होगा और अंत भी रोशन होगा. वो ऐसी मज़हबी ज़िंदगी बसर करेगा जो पूर्ण और पवित्र होगी, जैसा की मेरा ढंग है. उसके शिष्य हजारो होंगे जबकि मेरे सेकड़ो ही हैं. आनंद ने पूछा, "हम उसे कैसे पहचानेंगे?" बुद्ध ने जवाब दिया "वो मेत्रिये (कृपा करने वाले) के नाम से जाना जायेगा ...."
ग़ौर करे की गौतम बुद्ध ने भी अपने आपको अंतिम नहीं कहा बल्कि बाद के किसी दौर में आने वाले मेत्रेये (कृपालु) की भविष्यवाणी कि थी. ये सुन लें कि क़ुरान में हज़रत मुहम्मद सल्ल्ल० "रेह्मतुल्लिल आलमीन" (सभी संसारो के लिये कृपा) कहा गया है. पारसियों के दूत ज़र्थ्रूस्त्र के बारे में उनके पवित्र ग्रन्थ अवेस्ता में लिखा हैं की ईश्वर ने कहा जैसे ज़र्थ्रूस्त्र के रास्ते बराबर चलकर उसके मानने वाले वैभव की छोटी पर पहुचे इसी तरह भविष्य में एक वक्त में ईश्वर मैं मानने वाली एक कौम होगी जो दुनिया और उसके धर्मो को एक नयी ज़िंदगी देगी और जो पैग़म्बर की मदद के लिये खतरनाक युद्धों में खड़ी होगी. आगे दूत (पैग़म्बर) का नाम बताते हुए कहा, "जिसका नाम Vijaye Soeshyant होगा और जिसका नाम Astvat - Ereta होगा वो Soeshyaant (कृपा) होगा क्योंकि सारी दुनिया को उससे फायदा पहुचेगा और वो Astvat Ereta (जगाने वाला) होगा क्योंकि ज़िदा इंसान के रूप में वो इंसानों कि उस तबाही के खिलाफ खड़ा होगा जो मूर्ति पूजको और मज्दानियो की बुराईयों से फेलेगा .
(Farvardin Yasht, 25-29, Quoted by A.H. Vidyarthi in Mohammad in Parsi Scriptures P:18)
इस्लाम में अंतिम (पैग़म्बर) के दूत की धारणा के सिवा तमाम धर्मों में सिर्फ जैन धर्म के मानने तो धारणा रखते है की श्री महावीर अंतिम तीर्थकर थे लेकिन वह भी ये दावा सिर्फ जैनियों का है, स्वयं श्री महावीर के अपने शब्दों में उनके अंतिम होने का दावा हमें नहीं मिलता है.
इस्लाम दुनिया का ऐसा अकेला धर्म है जिसको पूर्ण करने वाले मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अंतिम दूत (पैग़म्बर) का ऐलान किया.
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सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम = उन पर ईश्वर ओर से शान्ति हो
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