1. अश्वरोहन एवं खड्ग्धारण- भगवतपुराण (12:02:19), द्वादश स्कंध द्वितीय अध्याय के उन्नीसवे श्लोक से कल्कि का देवताओ द्वारा दिए गए अश्व (horse) पर चड़ना एवं तलवार द्वारा दुष्टों का संहार करना उल्लिखित है. कल्कि का घोड़ा जो देवताओ द्वारा उन्हें दिया जायेगा बहुत उत्तम रहेगा, उसी पर चड़कर वो दुष्टों का संहार करेंगे. मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वास्सल्लम (उन पर ईश्वर की शान्ति हो) को भी फरिश्तो द्वारा घोड़ा मिला था, जिसका नाम बुर्राक था, उस पर बैठकर मुहम्मद सल्ल० ने रात्री को तीर्थ यात्रा की थी, मुहम्मद सल्ल० को घोड़े अधिक प्रिय थे. और उनके सात (7) घोड़े थे. अंतिम अवतार को खड्ग्धारी बताया गया है दुष्टों का संहार अंतिम अवतार के द्वारा तलवार से है ना की एटम बम आदि से. विचारणिये है की ये समय अणुयुग है ना की तलवार का युग. तलवार का युग बीत चुका है. मुहम्मद सल्ल० के पास 9 तलवारे थी. अनस ने कहा की मेने मुहम्मद सल्ल० को देखा की घोड़े पर सवार थे और गले में तलवार लटकाए हुए थे (बुखारी).
2. जगद्गुरु - भगवतपुराण में अंतिम अवतार को जगद्पती कहा गया है (भगवतपुराण, द्वादश स्कंध, द्वितीय अध्याय, उन्नीसवा श्लोक) जगत का अर्थ है 'संसार' और पति का अर्थ है 'रक्षक'. जगतपति शब्द का अर्थ हुआ की अपने उपदेशो द्वारा गिरते हुए समाज को बचाने वाला. वो समाज कोई सीमित समाज तो है नहीं, वो समाज है संसार. तात्पर्य ये हुआ की जगत का गुरु मुहम्मद सल्ल० के लिये भी कुरान में कहा गया है ऐ मुहम्मद (सल्ल०),! एलान कर दो सारी दुनिया भर के लिये नबी हो कर तुम आये हो.- कुरान 7:158. दूसरी जगह ये भी कहा गया है, की 'पवित्र है वो अस्तित्व, जिसने अपने भक्त पर पवित्र ग्रन्थ उतारा, ताकि सम्पूर्ण संसार के लिये वो पापो का डर दिखाने वाला हो' - कुरान 25:1.
इस प्रकार जगतगुरू का अस्तित्व एवं महत्व दोनों ही सिद्ध होते हैं.
3. असाधुदमन - कल्कि के विषय में उल्लेख है की वो दुष्टों का दमन करेंगे (भगवतपुराण 00:02:19). यही यही बात मुहम्मद सल्ल० पर भी घटित होती है. उन्होंने भी दमन किया, तो दुष्टों का ही. कुरान में यह भी कहा गया है, की जिनको सताया गया है, उनको आज्ञा दी जाती है की वे भी लड़ें, इस कारण से की उन पर अत्याचार किया गया है और परमेश्वर उनकी सहायता पर पुरी शक्ति रखता है. जो लोग अपने घरों से निकाले गए केवल इस बात पर की ईश्वर उनका पालक है. मुहम्मद सल्ल० ने लुटेरो और डाकुओं को सुधार कर उन्हें एकेश्वरवाद की शिक्षा दी, तथा ईश्वर की पूजा में और देवताओ के मिश्रण का विरोध किया तथा मूर्तिपूजा का भी खंडन किया. उन्होंने जिस धर्म की स्थापना की, उसके विषय में कहा की में प्राचीन धर्म को ही स्थापित कर रहा हूं, कोई यह नया धर्म नहीं है. इस्लाम शब्द का अर्थ है, ईश्वर की आज्ञा का पालन कराने वाला धर्म और वेद शब्द भी ईश्वर्ये वाणी हैं और उनकी आज्ञा पालन कराने वाला धर्म वैदिक धर्म है, अता वैदिक या इस्लाम धर्म और वैदिक धर्म में साम्य है. जो वैदिक या इस्लाम धर्म के मार्ग में बाधक है उन्हें नास्तिक या काफिर कहा जाता है, उनसे विरोध की बात और उनके दमन की बात स्वभाविक है.
जिस परिस्थिति में मुहम्मद सल्ल० का जन्म हुआ, वो परिस्थिति डाकुओं और दुष्टों से युक्त थी. लड़कियों को कत्ल कर दिया जाता था.
उनके जन्म के पहले इरान तो कुबाद प्रथम बादशाह था, जो भज्दक के उपदेश से प्रभावित हो कर ये घोषित कर चुका था की धन और औरत सभी की है, उन पर किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार नही. इसी के परिणाम स्वरूप व्यभिचार अपनी सीमा को पार कर चुका था. बाद में मुहम्मद सल्ल० ही ऐसे व्यक्ति हुए थे जिनके वर्ग ने उन आत्ताय्यों को पराजित करके धर्म की मर्यादा स्थापित करने में सफलता प्राप्त की.
4. स्थान सम्बन्धी साम्य - कल्कि का स्थान शम्भल (भगवतपुराण 12:02:18) होगा और वो वहाँ के पुरोहित के यहाँ जन्म लेंगे. पुरोहित का नाम विष्णुयश होगा. इतना जो ज्ञात है की उक्त नाम संस्कृत भाषा के हैं, जो या तो अर्थ को निर्धारित करके लिखे गए हैं, या तो उन नामो का विकृत रूप हो गया है.
संस्कृत प्राय: अर्थप्रधान नामों को महत्व देता है, अतएव उन नामों के अर्थ को ही स्वीकार करना अधिक उपयुक्त है.
'शम्भल' शब्द शांत करना अर्थ वाली 'शम' धातु से बना हुआ है, जिसमे बन प्रत्ये लगा हुआ है. शम्भल शब्द का अर्थ होगा 'शान्ति का घर' और मक्का को अरबी भाषा में 'दारुल अमन''भी कहा जाता है, जिसका अर्थ 'शान्ति का घर' है.
5. प्रधान पुरोहित के यहाँ जन्म- कल्कि के विषय में यह कहा गया है की वो प्रधान पुरोहित के यहाँ जन्म लेंगे. मुहम्मद सल्ल० ने भी मक्का में काबा के प्रधान पुरोहित के यहाँ जन्म लिया.
6. माता-पिता सम्बन्धी साम्य- कल्कि की माता का नाम कल्किपुराण में सुमति आया हुआ है जिसका अर्थ है, शान्ति एवं मंशील स्वभाव वाली. पिता का नाम विष्णुयश आया हुआ है, जो बहुत ही पवित्र तथा ईश्वर का उपासक होगा, मुहम्मद सल्ल० की माता का भी नाम आमिना था जिसका अर्थ होता है, शान्ति (अमन) वाली, तथा पिता का नाम 'अब्दुल्लाह' था. अब्दुल्ला का अर्थ है अल्लाह अर्थात विष्णु का बंदा (भक्त).
7. अंतिम अवतार की धारणा में साम्य- कल्कि को अंतिम युग का अंतिम अवतार बताया गया है (भगवतपुराण प्रथम स्कंध, तृतीय अध्याय, पच्चीसवा (25) श्लोक). मुहम्मद ने भी घोषणा की है की में अंतिम संदेष्टा हूं. यही करण है की मुसलमान भावी किसी संदेष्टा या अवतार को नही मानते.
'कल्कि' शब्द का अर्थ 'वाचस्पत्यम' तथा 'शब्द्कल्प्तारू' में अनार का फल खाने वाला तथा कलंक को धोने वाला किया गया है. मुहम्मद सल्ल० भी अनार और खजूर का फल खाते थे, तथा उन्होंने प्राचीन काल से आगत मिश्रण (शिर्क) और नास्तिकता (कुफ्र) को धो दिया.
8. उत्तरदिशीगमन तथा उपदेश सम्बन्धी साम्य- कल्कि पुराण में उल्लिखित है, की कल्कि पैदा होने के बाद पहाड़ी की तरफ चले जाएंगे और वहा परशुराम जी से ज्ञान प्राप्त करेंगे बाद में उत्तर की तरफ जाकर फिर लोटेंगे. मुहम्मद सल्ल० भी जन्म के कुछ समय बाद पहाड़ियों की तरफ चले गए और वहाँ जिब्रील (अलैह०) द्वारा ज्ञान प्राप्त किया, अर्थात उन पर कुरान की आयतों का उतरना शुरू हुआ. उसके बाद वो उत्तर मदीने जाकर वहाँ से फिर दक्षिण की ओर लोट आए और अपने स्थान को विजित किया, यही घटना कल्कि के विषय में भी घटने की पुरानो द्वारा घोषणा हैं.
9. जन्मतिथि सम्बन्धी साम्य- कल्किपुराण में कल्कि के जन्म की तिथि के संबंध में लिखा है की माधव मास में शुक्ल पक्ष द्वादशी को जन्म होगा (कल्किपुराण अध्याय 2, श्लोक 15) और मुहम्मद सल्ल० का जन्म भी 12 रबी उल अव्वल को हुआ था. 12 रबी उल अव्वल का अर्थ है, चान्द की (12) बारहवी तिथि अर्थात शुक्लपक्ष द्वादशी.