Pages

Wednesday, 11 July 2012

अंतिम अवतार मुहम्मद सल्ल०. (उन पर ईश्वर की शान्ति हो):



1. अश्वरोहन एवं खड्ग्धारण- भगवतपुराण (12:02:19), द्वादश स्कंध द्वितीय अध्याय के उन्नीसवे श्लोक से कल्कि का देवताओ द्वारा दिए गए  अश्व (horse) पर चड़ना एवं तलवार द्वारा   दुष्टों का संहार करना उल्लिखित है. कल्कि का घोड़ा जो देवताओ द्वारा उन्हें दिया जायेगा बहुत उत्तम रहेगा, उसी पर चड़कर वो दुष्टों का संहार करेंगे. मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वास्सल्लम (उन  पर ईश्वर की शान्ति हो) को भी फरिश्तो द्वारा घोड़ा मिला था, जिसका नाम बुर्राक था, उस पर  बैठकर मुहम्मद सल्ल० ने रात्री को तीर्थ यात्रा की थी, मुहम्मद सल्ल० को घोड़े अधिक प्रिय थे. और उनके सात (7) घोड़े थे. अंतिम अवतार को  खड्ग्धारी बताया गया है दुष्टों का संहार अंतिम अवतार के द्वारा तलवार से है ना की एटम बम आदि से. विचारणिये है की ये समय अणुयुग है ना की तलवार का युग. तलवार का युग बीत चुका है. मुहम्मद सल्ल० के पास 9 तलवारे थी. अनस ने कहा की मेने मुहम्मद सल्ल० को देखा की घोड़े पर सवार थे और गले में तलवार लटकाए हुए थे (बुखारी).

2. जगद्गुरु -  भगवतपुराण में अंतिम अवतार को जगद्पती कहा गया है (भगवतपुराण, द्वादश स्कंध, द्वितीय अध्याय, उन्नीसवा श्लोक) जगत का अर्थ है 'संसार' और पति का अर्थ है 'रक्षक'. जगतपति शब्द का अर्थ हुआ की अपने उपदेशो द्वारा गिरते हुए समाज को बचाने वाला. वो समाज कोई सीमित समाज तो है नहीं, वो समाज है संसार. तात्पर्य ये हुआ की जगत का गुरु मुहम्मद सल्ल० के लिये भी कुरान में कहा गया है ऐ मुहम्मद (सल्ल०),! एलान कर दो सारी दुनिया भर के लिये नबी हो कर तुम आये हो.- कुरान 7:158. दूसरी जगह ये भी कहा गया है, की 'पवित्र है वो अस्तित्व, जिसने अपने भक्त पर पवित्र ग्रन्थ उतारा, ताकि सम्पूर्ण संसार के लिये वो पापो का डर दिखाने वाला हो' - कुरान 25:1.
इस प्रकार जगतगुरू का अस्तित्व एवं महत्व दोनों ही सिद्ध होते हैं.

3. असाधुदमन - कल्कि के विषय में उल्लेख है की वो दुष्टों का दमन करेंगे (भगवतपुराण  00:02:19). यही यही बात मुहम्मद सल्ल० पर भी घटित होती है. उन्होंने भी दमन किया, तो दुष्टों का ही. कुरान में यह भी कहा गया है, की जिनको सताया गया है, उनको आज्ञा दी जाती है की वे भी लड़ें, इस कारण से की उन पर अत्याचार किया गया है और परमेश्वर उनकी सहायता पर पुरी शक्ति  रखता है. जो लोग अपने घरों से निकाले गए केवल इस बात पर की ईश्वर उनका पालक है. मुहम्मद सल्ल० ने लुटेरो और डाकुओं को सुधार कर उन्हें एकेश्वरवाद की शिक्षा दी, तथा ईश्वर की पूजा में  और देवताओ के मिश्रण का विरोध किया तथा मूर्तिपूजा का भी खंडन किया. उन्होंने जिस धर्म की स्थापना की, उसके विषय में कहा की में प्राचीन धर्म को ही स्थापित कर रहा हूं, कोई यह नया धर्म नहीं है. इस्लाम शब्द का अर्थ है, ईश्वर की आज्ञा का पालन कराने वाला धर्म और वेद शब्द भी ईश्वर्ये वाणी हैं और उनकी आज्ञा पालन कराने वाला धर्म वैदिक धर्म है, अता वैदिक या इस्लाम धर्म और वैदिक धर्म में साम्य है. जो वैदिक या इस्लाम धर्म के मार्ग में बाधक है उन्हें नास्तिक या काफिर कहा जाता है, उनसे विरोध की बात और उनके दमन की बात स्वभाविक है.
जिस परिस्थिति में मुहम्मद सल्ल० का जन्म हुआ, वो परिस्थिति डाकुओं और दुष्टों से युक्त थी. लड़कियों को कत्ल कर दिया जाता था.
उनके जन्म के पहले इरान तो कुबाद प्रथम बादशाह था, जो भज्दक के उपदेश से प्रभावित हो कर ये घोषित कर चुका था की धन और औरत सभी की है, उन पर किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार नही. इसी के परिणाम स्वरूप व्यभिचार अपनी सीमा को पार कर चुका था. बाद में मुहम्मद सल्ल० ही ऐसे व्यक्ति हुए थे जिनके वर्ग ने उन आत्ताय्यों को पराजित करके धर्म की मर्यादा स्थापित करने में सफलता प्राप्त की.

4. स्थान सम्बन्धी साम्य - कल्कि का स्थान शम्भल (भगवतपुराण  12:02:18) होगा और वो वहाँ के   पुरोहित के यहाँ जन्म लेंगे. पुरोहित का नाम विष्णुयश होगा. इतना जो ज्ञात है की उक्त नाम संस्कृत भाषा के हैं, जो या तो अर्थ को निर्धारित करके लिखे गए हैं, या तो उन नामो का विकृत रूप  हो गया है.
  संस्कृत प्राय: अर्थप्रधान नामों को महत्व देता है, अतएव उन नामों के अर्थ को ही स्वीकार करना  अधिक उपयुक्त है.
'शम्भल'  शब्द शांत करना अर्थ वाली 'शम' धातु से बना हुआ है, जिसमे बन प्रत्ये लगा हुआ है. शम्भल शब्द का अर्थ होगा 'शान्ति का घर' और मक्का को अरबी भाषा में 'दारुल अमन''भी कहा जाता है, जिसका अर्थ 'शान्ति का घर' है.

5. प्रधान पुरोहित के यहाँ जन्म- कल्कि के विषय में यह कहा गया है की वो प्रधान पुरोहित के यहाँ  जन्म लेंगे. मुहम्मद सल्ल० ने भी मक्का में काबा के प्रधान पुरोहित के यहाँ जन्म लिया.

6. माता-पिता सम्बन्धी साम्य- कल्कि की माता का नाम कल्किपुराण में सुमति आया हुआ है जिसका अर्थ है, शान्ति एवं मंशील स्वभाव वाली. पिता का नाम विष्णुयश आया हुआ है, जो बहुत ही पवित्र तथा ईश्वर का उपासक होगा, मुहम्मद सल्ल० की माता का भी नाम आमिना था जिसका अर्थ होता है, शान्ति (अमन) वाली, तथा पिता का नाम 'अब्दुल्लाह' था. अब्दुल्ला का अर्थ है अल्लाह अर्थात विष्णु का बंदा (भक्त).


7. अंतिम अवतार की धारणा में साम्य- कल्कि को अंतिम युग का अंतिम अवतार बताया गया है (भगवतपुराण  प्रथम स्कंध, तृतीय अध्याय, पच्चीसवा (25) श्लोक). मुहम्मद ने भी घोषणा की है की में अंतिम संदेष्टा हूं. यही करण है की मुसलमान भावी किसी संदेष्टा या अवतार को नही मानते.
'कल्कि' शब्द का अर्थ 'वाचस्पत्यम' तथा 'शब्द्कल्प्तारू' में अनार का फल खाने वाला तथा कलंक को धोने वाला किया गया है. मुहम्मद सल्ल० भी अनार और खजूर का फल खाते थे, तथा उन्होंने प्राचीन  काल से आगत मिश्रण (शिर्क) और नास्तिकता (कुफ्र) को धो दिया.

8. उत्तरदिशीगमन तथा उपदेश सम्बन्धी साम्य- कल्कि पुराण में उल्लिखित है, की कल्कि पैदा  होने के बाद पहाड़ी की तरफ चले जाएंगे और वहा परशुराम जी से ज्ञान प्राप्त करेंगे बाद में उत्तर की तरफ जाकर फिर लोटेंगे. मुहम्मद सल्ल० भी जन्म के कुछ समय बाद पहाड़ियों की तरफ चले गए और वहाँ जिब्रील (अलैह०) द्वारा ज्ञान प्राप्त किया, अर्थात उन पर कुरान की आयतों का उतरना शुरू हुआ. उसके बाद वो उत्तर मदीने जाकर वहाँ से फिर दक्षिण की ओर लोट आए और अपने स्थान को विजित किया, यही घटना कल्कि के विषय में भी घटने की पुरानो द्वारा घोषणा हैं.

9. जन्मतिथि सम्बन्धी साम्य- कल्किपुराण में कल्कि के जन्म की तिथि के संबंध में लिखा है की माधव मास में शुक्ल पक्ष द्वादशी को जन्म होगा (कल्किपुराण अध्याय 2, श्लोक 15) और मुहम्मद सल्ल० का जन्म भी 12 रबी उल अव्वल को हुआ था. 12 रबी उल अव्वल का अर्थ है, चान्द की (12) बारहवी तिथि अर्थात शुक्लपक्ष द्वादशी.

Saturday, 7 July 2012

मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) अंतिम दूत (आखरी पैग़म्बर) विभिन्न धर्मों में:

वेदों ने अपने एक महान दूत का नाम अग्नि बताया था:
"हम अग्नि को दूत (पैग़म्बर) चुनते है"
-ऋग्वेद 01:12:01
यहाँ अग्नि से मतलब आग नही बल्कि मनुष्य (इनसान) है, ऋग्वेद (01:31:15) में अग्नि को साफ़-साफ़ 'नर' यानि मनुष्य (इनसान) बताया गया है. फिर ऋग्वेद (03:29:11) में कहा गया है की अग्नि का एक नाम 'नराशंस' है वो नराशंस नाम से ही दुनिया में आयेंगे. शब्द 'नराशंस' का अनुवाद प्रशंसा योग्य मनुष्य या "मुहम्मद" होता है. फिर अर्थर्ववेद (20:127:1-3) में साफ़-साफ़ कह दिया गया कि नराशंस के आने पर उनकी बहुत प्रशंसा होगी, ऊंट उनकी सवारी होगी, उनकी कई पत्नियाँ होंगी. फिर उस वक्त के मक्के की आबादी 60,090 होना, अलंकृत राजभाषा में हबशा (इथियोपिया) मुल्क में पनाह लेने वालो की संख्या 100 होना, 10 जन्नती (अशरा मुबश्शिरा) सहाबा का इशारा, बदर जंग में फ़तह हो कर लोटने वालो की संख्या 300 और मक्के की फ़तह के वक्त इस्लामी सेना की संख्या 10,000 का भी ज़िक्र किया गया है. वेद मंत्रो का यह अनुवाद प्राचीन अनुवादको पंडित राजाराम और पंडित खेमकरण के अनुवादों पर आधारित है. चंडीगढ़ विश्वविध्यालय में संस्कृत के प्रोफेसर पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय ने ये सारी वियाख्या बहुत साफ़ शब्दों में लिखी है.

वेदों ने अपने अवतरण काल के बहुत बाद 'नराशंस' नाम के एक दूत (पैग़म्बर) के आने की भविष्यवाणी की थी और वेद लाने वाले अज्ञात ऋषि (नबी) को आखिरी नहीं कहा गया था. गीता (04:07) और श्रीमद भागवत महापुराण (09:24:56) में यह धारणा अंकित है की जब-जब दुनिया में धर्म बिगाड़ पैदा हो जाता है और बुराईया बढ़ जाती है तब अवतार दुनिया में आते हैं पोराणिक काल के ग्रंथो में दूत के बजाये अवतार की धारणा हैं.

यहूदियों की मोजुदा तोरेत और इसाइयों की मोजूदा इन्जीलो में भी हज़रत मूसा और हज़रत ईसा को आखिरी दूत (पैग़म्बर) नहीं कहा गया है. दोनों में साफ़ तरीके से बाद के किसी दौर में आने वाले एक दूत के आने के संकेत दिए गए हैं. से. इंजील में इनको Paraclete या Periclytos कहा गया है जिसका अनुवाद हैं "प्रशंसा योग्य" या फिर "मुहम्मद".

गौतम बुद्ध ने भी स्वयं को अंतिम "बुद्ध" नहीं कहा था. जब बुद्ध के शिष्य आनंद ने सवाल किया, "आपके जाने के बाद कौन मार्गदर्शन करेगा" बुद्ध ने जवाब दिया, "में दुनिया में आने वाला न तो पहला बुद्ध हूँ और न अंतिम होऊंगा. अपने समय में दुनिया में एक और बुद्ध आएगा वो पवित्र, बहुत बुद्धिमान होंगे. अच्छी ज़िंदगी का जानने वाला, इंसानियत का अनोखा नेता (नेता), फरिश्तो और अनित्ये मनुष्यों का गुरु होगा. मेने जो सत्य बाते तुम्हे बताई है वो तुम्हे बताएगा. वो ऐसे धर्म का प्रचार करेगा जिसका आरम्भ भी रोशन होगा मध्य भी रोशन होगा और अंत भी रोशन होगा. वो ऐसी मज़हबी ज़िंदगी बसर करेगा जो पूर्ण और पवित्र होगी, जैसा की मेरा ढंग है. उसके शिष्य हजारो होंगे जबकि मेरे सेकड़ो ही हैं. आनंद ने पूछा, "हम उसे कैसे पहचानेंगे?" बुद्ध ने जवाब दिया "वो मेत्रिये (कृपा करने वाले) के नाम से जाना जायेगा ...."

ग़ौर करे की गौतम बुद्ध ने भी अपने आपको अंतिम नहीं कहा बल्कि बाद के किसी दौर में आने वाले मेत्रेये (कृपालु) की भविष्यवाणी कि थी. ये सुन लें कि क़ुरान में हज़रत मुहम्मद सल्ल्ल० "रेह्मतुल्लिल आलमीन" (सभी संसारो के लिये कृपा) कहा गया है. पारसियों के दूत ज़र्थ्रूस्त्र के बारे में उनके पवित्र ग्रन्थ अवेस्ता में लिखा हैं की ईश्वर ने कहा जैसे ज़र्थ्रूस्त्र के रास्ते बराबर चलकर उसके मानने वाले वैभव की छोटी पर पहुचे इसी तरह भविष्य में एक वक्त में ईश्वर मैं मानने वाली एक कौम होगी जो दुनिया और उसके धर्मो को एक नयी ज़िंदगी देगी और जो पैग़म्बर की मदद के लिये खतरनाक युद्धों में खड़ी होगी. आगे दूत (पैग़म्बर) का नाम बताते हुए कहा, "जिसका नाम Vijaye Soeshyant होगा और जिसका नाम Astvat - Ereta होगा वो Soeshyaant (कृपा) होगा क्योंकि सारी दुनिया को उससे फायदा पहुचेगा और वो Astvat Ereta (जगाने वाला) होगा क्योंकि ज़िदा इंसान के रूप में वो इंसानों कि उस तबाही के खिलाफ खड़ा होगा जो मूर्ति पूजको और मज्दानियो की बुराईयों से फेलेगा .
(Farvardin Yasht, 25-29, Quoted by A.H. Vidyarthi in Mohammad in Parsi Scriptures P:18)

इस्लाम में अंतिम (पैग़म्बर) के दूत की धारणा के सिवा तमाम धर्मों में सिर्फ जैन धर्म के मानने तो धारणा रखते है की श्री महावीर अंतिम तीर्थकर थे लेकिन वह भी ये दावा सिर्फ जैनियों का है, स्वयं श्री महावीर के अपने शब्दों में उनके अंतिम होने का दावा हमें नहीं मिलता है.
इस्लाम दुनिया का ऐसा अकेला धर्म है जिसको पूर्ण करने वाले मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अंतिम दूत (पैग़म्बर) का ऐलान किया.
____________________________________________________________________________________

सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम = उन पर ईश्वर ओर से शान्ति हो