1. गाँधी
जी ने हरिजन पत्रिका में 1937 में लिखा था कि, "यदि हमें स्वराज प्राप्त
होता है तो हम देश की शासन प्रणाली हज़रत उमर (द्वितीय ख़लीफा) की ख़िलाफ़त की
तर्ज़ पर चलाएंगे।
यदि परिवर्तन लाना ही है तो गांधीजी द्वारा पसन्द की गई शासन व्यवस्था की भी कुछ झलक देख ली जाय-
हज़रत उमर द्वारा लागू किये गए इस्लामी शरीयत के क़ानून के मुताबिक़ -
* फौजदारी के क़ानून मुस्लिम और ग़ैरमुस्लिम दोनों पर बराबर लागू होंगे चाहे मुसलमान का माल ग़ैरमुस्लिम चुराए या ग़ैरमुस्लिम का माल मुसलमान चुराए, सज़ा दोनों को बराबर मिलेगी।
* शराब बनाने, बेचने या पीने के मामले में सज़ा के हक़दार केवल मुसलमान होंगे।
* सूद और उसका कारोबार सबके लिए अपराध होगा।
* शराब की तरह से ही सूअर पालने, उसका मांस बेचने और खाने पर ग़ैरमुस्लिमों को न रोका जायेगा। यहाँ तक कि अगर कोई मुसलमान किसी ग़ैरमुस्लिम के सूअर या शराब को नुक़सान पहुंचाता है तो उससे उस माल का हर्जाना दिलवाया जाएगा।
यह कुछ हलकी सी झलकियाँ पेश की गई हैं ताकि इनका अध्ययन करके देश हित में जिसको जनता उचित समझे उसके अनुसार परिवर्तन लाने की कोशिश एक अच्छा क़दम साबित होगी।
2. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1937 में अपने लेक्चर में सादगी की जिन्दगी गुजारने का मशवरा देते हुए कहा:
''कि मैं रामचंद्र और कृष्ण का हवाला नहीं दे सकता हूं
क्यूकि वो तारीखी हस्तियां नहीं हैं, मैं मजबूर हूं
सादगी के लिए हजरत अबु बकर रजि. और हजरत उमर रजि.
का नाम पेश करता हूं, वो बहुत बडी सलतन्त के हाकिम थे
मगर उन्हों ने सादगी की जिन्दगी गुजारी
“Mahatma Gandhi in his statement in in the “Tej” dated
5th October 1925 said “Mahabharata’s
Krishna never existed on the earth.”
He said in Harijan dated 27th July 1937 that
“I do not mention the name of Rama and
Krishna, because they were not historical
figures, but I am inclined to mention the
names of Abu-Bakr and Umar.
“Gandhi in his statement in in the “Tej” dated
5th October 1925
3.
यदि परिवर्तन लाना ही है तो गांधीजी द्वारा पसन्द की गई शासन व्यवस्था की भी कुछ झलक देख ली जाय-
हज़रत उमर द्वारा लागू किये गए इस्लामी शरीयत के क़ानून के मुताबिक़ -
* फौजदारी के क़ानून मुस्लिम और ग़ैरमुस्लिम दोनों पर बराबर लागू होंगे चाहे मुसलमान का माल ग़ैरमुस्लिम चुराए या ग़ैरमुस्लिम का माल मुसलमान चुराए, सज़ा दोनों को बराबर मिलेगी।
* शराब बनाने, बेचने या पीने के मामले में सज़ा के हक़दार केवल मुसलमान होंगे।
* सूद और उसका कारोबार सबके लिए अपराध होगा।
* शराब की तरह से ही सूअर पालने, उसका मांस बेचने और खाने पर ग़ैरमुस्लिमों को न रोका जायेगा। यहाँ तक कि अगर कोई मुसलमान किसी ग़ैरमुस्लिम के सूअर या शराब को नुक़सान पहुंचाता है तो उससे उस माल का हर्जाना दिलवाया जाएगा।
यह कुछ हलकी सी झलकियाँ पेश की गई हैं ताकि इनका अध्ययन करके देश हित में जिसको जनता उचित समझे उसके अनुसार परिवर्तन लाने की कोशिश एक अच्छा क़दम साबित होगी।
2. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1937 में अपने लेक्चर में सादगी की जिन्दगी गुजारने का मशवरा देते हुए कहा:
''कि मैं रामचंद्र और कृष्ण का हवाला नहीं दे सकता हूं
क्यूकि वो तारीखी हस्तियां नहीं हैं, मैं मजबूर हूं
सादगी के लिए हजरत अबु बकर रजि. और हजरत उमर रजि.
का नाम पेश करता हूं, वो बहुत बडी सलतन्त के हाकिम थे
मगर उन्हों ने सादगी की जिन्दगी गुजारी
“Mahatma Gandhi in his statement in in the “Tej” dated
5th October 1925 said “Mahabharata’s
Krishna never existed on the earth.”
He said in Harijan dated 27th July 1937 that
“I do not mention the name of Rama and
Krishna, because they were not historical
figures, but I am inclined to mention the
names of Abu-Bakr and Umar.
“Gandhi in his statement in in the “Tej” dated
5th October 1925
3.